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Written by: Munshi प्रेमचंद
Recommended Age: 14+ years
प्रेमचंद ने सामाजिक सरोकारों से ओत-प्रोत उपन्यास ‘सेवासदन’ की रचना आज से करीब सौ साल पहले 1918 में की थी। उर्दू भाषा में यही उपन्यास ‘बाजार-ए- हुस्न’ के नाम से 1919 में छपा। ‘सेवासदन’ में प्रेमचंद ने नारी पराधीनता, वेश्या जीवन, दहेज प्रथा और मध्यम वर्ग की आर्थिक सामाजिक समस्याओं को प्रमुखता के साथ चित्रित करके उसका यथासंभव समाधान भी प्रस्तुत किया है। ईमानदार थानेदार कृष्णचंद्र की दो बेटियां सुमन और शांता हैं। दहेज की शर्त पूरी किए बिना कोई भी अच्छा रिश्ता सुमन के लिए मिल नहीं पाता।
“सेवासदन की मुख्य समस्या भारतीय नारी की पराधीनता है। नारी-समाज का सबसे दलित अंग राष्ट्रीय पराधीनता और घरेलु दासता, दोनों से पिसती हुई नारी-स्वाधीनता के लिए हाथ फैलाने लगी थी। प्रेमचंद ने सबसे पहले इस परिवर्तन को देखा था, उसका स्वागत किया और उसे बढ़ावा दिया।” ‘सेवासदन’ के माध्यम से प्रेमचंद केवल सामाजिक कुरीतियों और आडंबरों से ही रूबरू नहीं करते, बल्कि यथायोग्य तात्कालिक समाधान भी प्रस्तुत करते हैं।
210 pages
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