Paperback, NEW
Written by: Premchand
Recommended Age: 9 to 15 years
मनोरमा: प्रेमचंद के इस गहरे सामाजिक उपन्यास में, रानी मनोरमा के जीवन के माध्यम से उस समय की नारी व्यथा को उजागर किया गया है। जानिए कैसे प्रेमचंद ने इन संघर्षों और दुःखों को संवेदनशीलता और गहराई के साथ व्यक्त किया। यह पुस्तक आपको उस युग में नारी जीवन के जटिल पहलुओं से परिचित कराती है।
प्रेमचंद की अद्वितीय लेखनी ने एक बार फिर नारी व्यथा और समाजिक मुद्दों को उजागर करते हुए मनोरमा के पात्र में जीवन दिया है। इस उपन्यास के माध्यम से, प्रेमचंद ने एक अद्वितीय झलक प्रस्तुत की है जो उस समय की महिलाओं के सामाजिक और नैतिक संघर्षों को दर्शाती है। इस उपन्यास में व्यक्त किए गए गहरे विचार आपको उस समय की समाज की एक विस्तृत और सटीक झलक प्रदान करेंगे।
128 pages
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